गुरुकुल ५

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Friday 26 April 2013

चिराग



चिराग आँधियों में ही जलाया जाये हौसला दिल में पालकर हर पल
चलो खोजें मिलकर जहां ऐसा जहां चिराग से चिराग जलाया जाये

मिल जाये गर एक हसीं मौका यूँ ही तेरे संग राह पर चलते चलते
करें सितम मुफ्त में किसी हंसते बच्चे को चलो आज रुलाया जाये

लोग खुश हैं मुफलिसी, दोज़ख में भी धूप साये में भी मस्त मौला हम
बंद कर आँख गाफिल जिन्दगी से भी दरख़्त दर्द का एक लगाया जाये

अमन चैन से सोते हैं पत्थरों पर नर्म तकिया बनाकर हाथ सिर के नीचे
मुख़्तसर  ज़िन्दगी से कभी बातें कर किसी आबाद  घर को जलाया जाये

न कर फैसला ज़माने की खातिर कौन होता है तू तेरा वजूद इम्तहां लेगा
तुम्हारा ही अक्श नज़र आयेगा तुम्हें आईना जब भी तुम्हे दिखाया जाये


लोग क्यूं खुश हैं ज़माने को बसाने में चलो पूरी बस्ती को उजाड़ा जाये
इंसानियत ओढ़कर बहुत जी चुके अब शैतानियत को आजमाया जाये

२० अक्टूबर २०११
तथागत ब्लॉग के सृजन कर्ता
श्री राजेश कुमार सिंह को समर्पित
   

28 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा शनिवार (27 -4-2013) के चर्चा मंच पर भी है ।
    सूचनार्थ!

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    1. वंदना गुप्ता जी प्रणाम आपने रचना को सम्मान दिया आभारी

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  2. तुम्हें आईना जब भी तुम्हे दिखाया जाये ...........
    बहुत खूब कहा आपने इन पंक्तियों में
    सादर

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  3. चिराग आँधियों में ही जलाया जाये हौसला दिल में पालकर हर पल
    चलो खोजें मिलकर जहां ऐसा जहां चिराग से चिराग जलाया जाये
    घना अँधेरा है, बहुत जरुरी है हौसलों के चिराग जलाये रखना... सुन्दर भाव... आभार

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    1. हौसला माँ, बहन, बेटी, और रिश्तों से मिलता है आपने सराहा आपका स्नेह बना रहे आभारी ...

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  4. न कर फैसला ज़माने की खातिर कौन होता है तू तेरा वजूद इम्तहां लेगा
    तुम्हारा ही अक्श नज़र आयेगा तुम्हें आईना जब भी तुम्हे दिखाया जाये

    ...बहुत खूब! बहुत प्रभावी अभिव्यक्ति...

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  5. "तुम्हारा ही अक्श नज़र आयेगा तुम्हें आईना जब भी तुम्हे दिखाया जाये" सुंदर अभिव्यक्ति.

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  6. खतरनाक इरादे.

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  7. बढ़िया अभिव्यक्ति ...
    शुभकामनायें आपको !

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  8. क्या-क्या गज़ब करने को उतारू हैं - पर जिसे आईना दिखाना चाहते हैं आप उसकी आँखें बंद हैं.

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  9. बहुत लाजबाब, बहुत ही प्रभावी अभिव्यक्ति..!!!

    Recent post: तुम्हारा चेहरा ,

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  10. बहुत खूब! बहुत प्रभावी अभिव्यक्ति,आभार.

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  11. उत्साह से लबरेज ,वास्तविकता से भरा हुआ.. बधाई

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  12. बहुत बढ़िया...
    प्रभावशाली अभिव्यक्ति..

    सादर
    अनु

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  13. उफ़..कितने दर्द से उपजी पंक्तियाँ..

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  14. बहुत खूब!प्रभावशाली अभिव्यक्ति..

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  15. मानस के अंतर से निकली पंक्तियाँ।

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  16. बहुत बढ़िया

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  17. लोग क्यूं खुश हैं जमाने को बसाने में चलो पूरी बस्ती को उजाड़ा जाये
    इंसानियत ओढ़कर बहुत जी चुके अब शैतानियत को आजमाया जाये

    जमाने के दर्द को बयां करती पंक्तियां।

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  18. करें सितम मुफ्त में किसी हंसते बच्चे को चलो आज रुलाया जाये ...

    मासूम सी चाह लिए ... अगर जीवन ऐसे ही बीतता रहे तो ये जीवन तो सफल है ...
    लाजवाब ..

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  19. shakuntala sharma shaakuntalam.blogspot.com28 April 2013 at 14:37

    " क्षीणा नरा: निष्करुणा भवन्ति ।"

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  20. और हर अच्छाई के लिए एक सूली बनाया जाए..वाह!

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  21. मिल जाये गर एक हसीं मौका यूँ ही तेरे संग राह पर चलते चलते

    काश ऐसा हो पाता बाबू साहब

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    1. सर जी आपने सराहा लिखना रास आया ह्रदय से आभार आपका

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  22. कहां संतुलित हो पाया मन कौन भला इसको समझाये
    मांगे से क्या मोती मिलता है यही बात यह समझ न पाये ।

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  23. जो चन्चल है वही तो मन है ।

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  24. ''मंदिर मैं न सही किसी अँधेरे नुक्कड़ में चिराग जलाया जाए.
    घी का न हो तो कड़वे तेल का हो ये चिराग,पर जले तो सही ,
    नुक्कड़ में छाया अँधेरा जब छटेगा, तब मन का अँधेरा मिटेगा..!

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